Wednesday, September 1, 2010

Balanced diet for Indian soldiers. अँडा खाओ देश बचाओ Ayaz Ahmad


सैनिकों के राशन पर सीएजी की फटकार का असर नज़र आने लगा है । रक्षा मंत्रालय ने अपने जवानों की सेहत की सुध लेते हुए उनके आहार को और पौष्टिक बनाने का फैसला किया है ।इस कवायद में फील्ड और पीस एरिया में तैनात जवानों को जहाँ अब हर दिन दो अंडे दिए जाएँगे ।वहीं नौ हज़ार फुट और उससे अधिक ऊँचाई पर तैनात जवानों को दिन में एक के बजाए दो अंडे मिलेंगे । (दैनिक जागरण 31 अगस्त 2010)
सैनिकों की यह खुराक बड़े वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद तय की जाती है देश की रक्षा में तैनात जवानों की सेहत का पूरा ध्यान सरकार को रखना पड़ता है सिर्फ शाकाहार जवानों को संतुलित आहार प्रदान नही कर सकता क्योकि इससे शरीर मे सही मात्रा में प्रोटीन की ज़रूरत पूरी नही हो सकती । इसलिए सरकार ही का दायित्व है कि वह जवानों के संतुलित आहार का इंतजाम करे । क्योकि प्रोटीन की कमी के कारण जवानों मे कुपोषण हो सकता है और वह युद्ध के समय मे देश व सैनिकों के लिए घातक हो सकता है । अब देश के नागरिकों का भी फ़र्ज़ है वह भी देश के लिए हर परिस्थिति के लिए हर समय तैयार रहें देश के हर समय जान देने व लेने के लिए तैयार रहें । कभी ऐसी स्थिति आने पर मांसाहार न करने के कारण प्रोटीन की कमी के कारण कुपोषण से जूझते लोग क्या करेंगे ?
ऐसी स्थिति मे वह लोग पीठ दिखाने को विवश होंगे और पराजय का कारण भी बन सकते है । इसलिए हर व्यक्ति को प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित मेन्यू अपनाने की ज़रूरत है । इसके लिए लोगों को अपने काल्पनिक अंधविश्वासो को बाधा नही बनने देना चाहिए ।
कुछ लोग मांसाहार के खिलाफ दुष्प्रचार करके अपने लोगों को कमजोर बना रहें है ऐसा करके वह लोग जाने अनजाने शत्रु देश का काम आसान कर रहें है । इस को लेकर समय रहते जागने की ज़रूरत है अतः सभी को मिलकर देश को मजबूत बनाने के लिए मांसाहार को बढ़ावा देने की ज़रूरत है

Thursday, August 26, 2010

The reality of vegetarianism.बेज़ुबान पेड़ों के मासूम भ्रूण को खाने वालो को दयालू कहा जाएगा या निर्दयी ?- Ayaz Ahmad

महक भाई जो प्रश्न आपने उठाए हैं उनका जवाब तो आपकी पोस्ट पर ही अलग अलग कई विद्वान दे चुके हैं लेकिन जब आपको समझना ही नही है तो कोई आपको समझा कैसे सकता है । * हमें आपके आहार पर कोई आपत्ति नही है लेकिन आप हमारे आहार पर ऐतराज़ जताते हुए हमें पापी घोषित कर चुके है और चाहते है कि मांसाहार करने के बदले मे हमें मृत्यु दंड दे दिया जाए ये आपका निजी विचार है जो की ग़लत है और इससे सभी शाकाहारी भी सहमत नही हैं । **हमारा सवाल तो यह है कि बकरा हो या आलू टमाटर जब दोनो ही जीवधारी हैं तो फिर ज़्यादा निरीह तो यह सब्जियाँ हैं जो मरते समय शोर पुकार फ़रियाद भी नही कर सकती इन सब्जियों की हत्या करने का अधिकार आप किस तर्क से पा सकते है ।
*** पेड़ों मे भी नर मादा होते है फूल फ़र्टिलाइज़ेशन के बाद फल बन जाता है बाज़ार मे जो फल आते हैं वह पेड़ द्वारा त्यागे नही होते ब्लकि उन्हे पेड़ से तोड़ा गया होता है पेड़ के लिए फल ठीक ऐसा ही है जैसा कि गर्भवती औरत के लिए उसका भ्रूण यदि आप मनुष्य का भ्रूण नही खा सकते तो फिर आप फल खाने के लिए क्या तर्क पेश करेंगे ।
**** मनुष्य को खाने के लिए अंतरिक्ष से किसी प्राणी के आने का इंतज़ार करने की ज़रूरत नही है अरबो खरबोँ पैरासाइट और बैक्ट्रीया मनुष्य के जिस्म में कालोनी बनाकर बसे हुए हैं । यह दुनिया ऐसी ही है हम जीवों का आहार करते हैं और जीव हमारा ।
***** मनुष्य के मरने के बाद जो लोग चिता जलाते हैं वे मृत शरीर में आबाद असंख्य जीवों की हत्या करते है ।
****** चिता जलाने से वन कटते हैं और ग्लोबल वार्मिँगं बढ़ता है ग्लोबल वार्मिगं के बारे में चिंतित बुद्धिजीवियों को इसका विरोध करना चाहिए हम तो किसी की धार्मिक परंपरा पर आपत्ति न पहले करते थे न अब करते हैं । अलबत्ता इस्लाम के साइंटिस्ट दृष्टिकोण की आलोचना करने वालो को जवाब देना ज़रूरी होता है तो मजबूरन इतना लिखना पड़ा आशा है कि स्वस्थ संवाद की परंपरा का निर्वाह करेंगे ।

Monday, July 19, 2010

मेरा भाई शाहनवाज़- डॉ. अयाज़ अहमद

आज १९ जुलाई है आज मेरी ज़िन्दगी का वह दिन है जो मुझे हमेशा याद रहेगा आज ही के दिन मेरा प्यारा भाई शाहनवाज़ अहमद मुझसे हमेशा के लिए जुदा हो गया था एक साल गुज़रने के बाद और उसका होना जैसे कल ही की बात लगती है . इस एक साल का कोई एक दिन कोई पल ऐसा नहीं गुज़रा जिसमे मैंने उसे याद न किया हो. भी वह अपनी यादों के साथ मेरे दिल के करीब है. हर आदमी की अच्छाइयां ही उसकी यादों के साथ आती है और शाहनवाज़ मे तो बहुत सारी अच्छाइयां थी जो मुझे उसे भूलने नहीं देती और रह रह उसकी याद आती रहती है .हम कुल सात भाई बहन थे जिसमे से दो हम दो भाई यानि एक मै और दूसरा शाहनवाज़ था और बाकी पांच बहने है ज़िन्दगी बहुत हंसी ख़ुशी के साथ गुज़र रही थी लगता था की ज़िन्दगी बड़ी आसान है कयोंकि मेरी सारी मुश्किलात का हल तो शाहनवाज़ था उसके शब्दकोष मे मेरे काम के लिए न नाम का कोई शब्द नहीं था वोह मुझसे तकरीबन १० साल छोटा था मगर घर या क्लिनिक का कोई भी काम उसके बिना हो ही नहीं सकता था उसकी उम्र तकरीबन २० साल थी लेकिन इस छोटी उम्र मे वह बड़े काम आसानी से कर लेता थामरीजों की खिदमत और दीन की दावत उसका शोक था हर साल देवबंद में लगने वाले मेले मे एकता प्रदर्शनी मे ज़ोर शोर से हिस्सा लेता था लेकिन आज वह हमारे बीच नहीं है ब्लॉगगत मे अपने सभी साथियों से गुज़ारिश है की आप लोग शाहनवाज़ की मग्फ़िरत के लिए और घरवालो को सब्र के लिए दुआ करे