Sunday, April 19, 2015

ग्रीन टी पीजिए और बीमारी दूर भगाइए


हरी चाय(green tea) के फायदा
दांतों की रक्षा में सहायक: ग्रीन टी मसूड़ों में मौजूद नुक्सानदायक बैक्टीरिया को नष्ट कर दांतों की रक्षा करती है। इसमें मौजूद फ्लोरीन दांतों में खोड़ों (कैविटीज) के बनने को रोकता है।

गठिया से बचाव : जो लोग चार या पांच कप ग्रीन टी का सेवन करते हैं वे रूमेटाइड आर्थराइटिस पर नियंत्रण कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक( immunity) क्षमता बढ़ाने में मदद: कुछ लोगों में स्टैमिना की कमी होती है, ग्रीन टी में मौजूद गुराना उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है।
गुर्दे के इंफेक्शन  से सुरक्षा ग्रीन नियमित सेवन से गुर्दों के संक्रमण की संभावना कम होती है।

मस्तिष्क बीमारियों से लडने में सहायता ग्रीन टी में विभिन्न किस्म के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो मल्टीपल स्कलीरोसिस जैसी दिमागी बीमारियों से लडने में सहायक होते हैं। ये दिमाग की कार्यप्रणाली को भी बढ़ाते हैं।
पाचन और भूख में : ग्रीन टी के सेवन से पाचन क्रिया बेहतर और तेज गति से काम करती है और यह भूख भी बढ़ाती है।

कैंसर से रक्षा में : माना जाता है कि ग्रीन टी में कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं वे ग्रीन टी के लगातार सेवन से इस बीमारी को रोकने में सक्षम हो सकते हैं। ग्रीन टी में एपीगैलोकैटेचिन गैलेट नामक एक एंटी-आक्सीडैंट होता है जो कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं के विकास को रोकता है।

दिल की रक्षा में : ग्रीन टी एल.डी.एल. कोलैस्ट्राल की आक्सीडेशन को रोकती है। इस प्रकार धमनियों में प्लाक में कम होने से हृदय रोगों का खतरा कम होता है। यह सब एपीगैलोकैटेचिन गैलेट के कारण होता है।
त्वचा की रक्षा में : गर्म पानी में मिलाए गए ग्रीन टी के सत्व त्वचा पर बाहरी तौर पर लगाने से रेडिएशन के प्रभाव कम होते हैं। रेडिएशन से प्रभावी रक्षा के लिए उसे प्रतिदिन तीन बार लगाना चाहिए।

 मोटापा : ग्रीन टी की सहायता से हम शरीर में कैलोरीज के बर्न होने की प्रयिा को तेज कर सकते हैं। शरीर में पोलीफिनोल्स की जितनी अधिक मात्रा होगी उतने फैट बनग इफैक्ट्स होंगे। ग्रीन टी पोलीफिनोल्स का एक भरपूर स्रोत है इसीलिए इसे वजन कम करने वाले विकल्पों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह मोटापे की सबसे बढिया औषधि है। इसलिए इसे डेली डाइट में शामिल करके न सिर्फ फैट कम होती है बल्कि साथ ही यह आपके शरीर को साफ करके विभिन्न रोगों से आपकी रक्षा करती है।

टाइप 1 डाइबिटीज़ में ग्रीन टी के लाभ


टाइप 1 डाइबिटीज़ के रोगियों के लिए ग्रीन टी बहुत फायदेमंद होती है क्‍योंकि ग्रीन टी में एंटीआक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।
ब्‍लड शुगर को नियंत्रित करना

ग्रीन टी शरीर में ग्‍लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करती है,और इन्‍सुलिन दवा के हानिकारक प्रभावो को कम करने में भी मदद करती है । यूनिवर्सिटी ऑफ मेरिलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार ग्रीन टी शरीर में ना सिर्फ टाइप 1 डाइबिटीज़ को कम करता है बल्कि इसके बुरे प्रभाव को भी कम करता है।

हाइपरटेंशन को कम करना

2004 में चीन में किए गए एक शोध के अनुसार एक दिन में एक कप ग्रीन टी पीने से 50 प्रतिशत तक हाई ब्‍लड प्रेशर में कमी आती हैं,ग्रीन टी खून की धमनियों को आराम पहुंचाता है,जिससे हाइ ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या में आराम मिलता हैं।

कालेस्‍ट्राल को कम करना
जो लोग रोज ग्रीन टी का सेवन करते है उनमें कालेस्‍ट्राल की मात्रा कम होती है उन लोगों के मुकाबले जो ग्रीन टी नहीं लेते इसलिए क्‍योंकि उनका मानना है कि उसमें मौजूद पॉलिफेनल से कालेस्‍ट्राल बढ़ता है।.

ग्रीन टी लेने के तरिके
रोज कम से कम आधा कप ग्रीन टी पीने से टाइप 1 डाइबिटीज़ की बीमारी से आराम मिलता हैं,एक साल तक नियमित इसका सेवन करने से ज्‍यादा से ज्‍यादा शारीरिक लाभ मिलेगा, ग्रीन टी ना पीने वालों को हाइपरटेंशन के खतरों ज्‍यादा की आशंका रहती है, रोज ग्रीन टी पीने से डाइबिटीज़ एवं हाइपरटेंशन में आराम मिलता है।

ग्रीन टी में होते हैं एक्‍टिव एजेन्‍ट
ग्रीन टी में मौजूद एक्‍टिव एजेन्‍ट जैसे केटेचीन,इजीसीजी,इन्‍सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करती है,साथ ही यह एन्‍टी-ओक्‍सेट के रूप में भी कार्य करता है।

चेतावनी
ग्रीन टी में कैफेन की मात्रा कॉफी के मुकाबले ज्‍यादा होती है,ज्‍यादा ग्रीन टी पीने से यह इससे मिलने वाले लाभ को कम करता है,जैसे- हाइपरटेशन इत्‍यादि, कई बार डाइबिटीज़ के प्रभावों को बढ़ाता है। कोशिश करें कि टी की सही मात्रा लें ताकि आपको इसका लाभ मिल सके और आप ओवरियन कैंसर, हेपेटाइटिस एवं अन्‍य शारीरिक समस्‍याओं के खतरों से बच सके।


ग्रीन टी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभदायक है। ग्रीन टी पीने से न केवल सामान्‍य बीमारियां दूर रहती हैं बल्कि कैंसर और अल्‍जाइमर के मरीजों के लिए यह फायदेमंद है।



ग्रीन टी के गुण

प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत
ग्रीन टी में विटामिन सी, पालीफिनोल्स के अलावा अन्य एंटीआक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो कि शरीर के फ्री रेडीकल्स को नष्ट कर इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाते हैं। दिन में तीन से चार कप ग्रीन टी शरीर में लगभग 300-400 मिग्रा पालीफिनोल पहुंचाती है, इससे शरीर में बीमारियां होने का खतरा कम होता है और शरीर रोग-मुक्‍त होता है।

कैंसर से रखे दूर
ग्रीन टी कैंसर के सेल को बढ़ने से रोकती है। ग्रीन टी मुंह के कैंसर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसके नियमित प्रयोग से पाचन नली और मूत्राशय के कैंसर की आशंका न के बराबर रहती है। इसलिए कैंसर के मरीजों के लिए ग्रीन टी रामबाण है।

दिल के लिए
ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्‍म का स्‍तर बढ़ता है। जिसके कारण शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा संतुलित रहती है। कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहने से रक्त चाप सामान्य रहता है। ग्रीन टी खून को पतला बनाए रखती है जिससे खून का थक्का नहीं बन पाता। ग्रीन टी पीने से हार्ट अटैक आशंका बहुत कम रहती है।

वजन घटाए
मोटापा कम करने में ग्रीन टी बहुत मदद करती है। खाने के बाद एक कप ग्रीन टी पीने से पाचन की गति बढ़ जाती है। ग्रीन टी में मौजूद कैफीन से कैलोरी खर्च करने की गति भी बढ़ जाती है। इसके कारण वजन कम होता है।

मुंह के लिए
ग्रीन टी मुंह के लिए बहुत फायदेमंद है। ग्रीन टी में ऑक्‍सीकरण रोधी पॉलीफिनॉल पाया जाता है जो मुंह में उन तत्‍वों को खत्‍म कर देता है जो सांस संबंधी परेशानियों के लिए जिम्‍मेदार होते हैं।

ग्रीन टी पर हर रोज नए-नए शोध हो रहे हैं। ग्रीन टी कई रोगों के इलाज में रामबाण साबित हुई है। ग्रीन टी अल्‍जाइमर, पार्किंसन, मल्‍टीपल स्‍कलेरोज, कैंसर, मोटापा और हृदय संबंधी रोगों के लिए फायदेमंद है।

Tuesday, March 17, 2015

शुक्राणुहीनता NIL SPERM

शुक्राणु की कमी के कारण और निवारण
आदमी दिखनें में तन्दरुस्त हो ताकतवर हो लेकिन उसके शुक्राणु अगर दुर्बल हैं तो वो गर्भ धारण नहीं करवा सकते - तो जानें वीर्य में स्वस्थ शुक्राणुओं को बढ़ाने के चंद तरीके - पुरुष के वीर्य में शुक्राणु होते हैं ये शुक्राणु स्त्री के डिम्बाणु को निषेचित कर गर्भ धारण के लिये जिम्मेदार होते हैं - वीर्य में इन शुक्राणुओं की तादाद कम होने को शुक्राणु अल्पता की स्थिति कहा जाता है। शुक्राणु की कमी को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं लेकिन अगर वीर्य में शुक्राणुओं की मौजूदगी ही नहीं है तो इसे एज़ूस्पर्मिया संज्ञा दी जाती है ऐसे पुरुष संतान पैदा करने योग्य नहीं होते हैं।

 
 

 वीर्य में स्वस्थ शुक्राणुओं की तादाद कम होने के निम्न कारण हो सकते हैं-- * वीर्य का दूषित होना * अंडकोष पर गरमी के कारण वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है। ज्यादा तंग अन्डर वियर पहिनने,गरम पानी से स्नान करने, बहुत देर तक गरम पानी के टब में बैठने और मोटापा होने से शुक्राणु अल्पता हो जाती है। * हस्तमैथुन से बार बार वीर्य स्खलित करना * थौडी अवधि में कई बार स्त्री समागम करना * अधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना * ज्यादा शराब सेवन करना * अधिक बीडी सिगरेट पीना * गुप्तांग की दोषपूर्ण बनावट होना * शरीर में ज़िन्क तत्व की कमी होना * प्रोस्टेट ग्रंथि के विकार * वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढाने के लिये निम्न उपाय करने का परामर्ष दिया जाता है-- * दो संभोग या हस्त मैथुन के बीच कम से कम ४ दिन का अंतराल रखें। * नियमित व्यायाम और योग करें। * शराब और धूम्रपान त्याग दें। * अधिक तीक्छण मसालेदार , अम्लता प्रधान और ज्यादा कडवे भोजन हानिकारक है। * ११ बादाम रात को पानी में भिगो दें। सुबह में छिलकर ब्लेन्डर में आधा गिलास गाय के दूध मे,एक चुटकी इलायची,केसर,अदरख भी डालकर चलाएं। यह नुस्खा वीर्य में शुक्राणुओं की तादाद बढाने का अति उत्तम उपाय है। * सफ़ेद प्याज का रस २ किलो निकालें ,इसमें एक किलो शहद मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं। जब सिर्फ़ शहद ही बच जाए तो आंच से अलग करलें । इसमें ५०० ग्राम सफ़ेद मूसली का चूर्ण मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में भर लें। सुबह-शाम दो १० से २० ग्राम की मात्रा में लेते रहने से वीर्य में शुक्राणुओं का इजाफ़ा होता है और नपुंसकता नष्ट होती है। * गाजर का रस २०० ग्राम नित्य पीने से शुक्राणु अल्पता में उपकार होता है । * शतावर और असगंध के ५ ग्राम चूर्ण को एक गिलास दूध के साथ पीना बेहद फ़ायदेमंद है। * कौंच के बीज,मिश्री,तालमखाना तीनों बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनालें। ३-३ ग्राम चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लेने से शुक्राणु अल्पता समाप्त होकर पुरुषत्व बढता है। * गोखरू को दूध में ऊबालकर सुखावें। यह प्रक्रिया ३ बार करें। फ़िर सुखाये हुए गोखरू का चूर्ण बनालें। ५ ग्राम की मात्रा में उपयोग करने से मूत्र संस्थान के रोग ,नपुंसकता और शुक्राणु अल्पता मे आशातीत लाभ होता है। * याद रहे सुबह ४ बजे और अपरान्ह में शरीर में शुक्राणुओं का स्तर उच्चतम रहता है। अत: गर्भ स्थापना के लिये ये समय महत्व के हैं। * मशरूम में प्रचुर ज़िन्क होता है इसके सेवन से वीर्य में शुक्राणु बढते हैं ।इसमे डोपेमाईन होता है जो कामेच्छा जागृत करता है। * भोजन में लहसुन और प्याज शामिल करें। शुक्राणु की गुणवत्ता बढाने के लिए यह करे उपाय..... * अखरोट खाने से पुरूषों में शुक्राणुओं की संख्या और उसकी गुणवत्ता दोनों बढ सकती है। * वैज्ञानिकों ने 20 से 30 वर्ष उम्र सीमा के युवकों के एक समूह को तीन महीने के लिए रोज 75 ग्राम अखरोट खाने को कहा। अनुसंधानकर्ताओंने पाया कि अखरोट नहीं खाने वाले पुरूषों की तुलना में ऎसा करने वाले पुरूषों के शुक्राणुओं की संख्या में और उसकी गुणवत्ता दोनों में बढोतरी हुई और उनके पिता बनने की संभावनाएं भी बेहतर हुईं। * अनुसीअनसेचुरेटेड वसा का मुख्य स्त्रेत है। अखरोट में मछली में पाया जाने वाला ओमेगा-3 और ओमेगा-6 भी पर्याप्त मात्र में होता है। * माना जाता है कि यह दोनों शुक्राणु के विकास और उसकी कार्यप्रणाली के बहुत महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन ज्यादा पश्चिमी व्यंजनों में इसका अभाव होता है। प्रत्येक छह में से एक दंपति को गर्भधारण करने में समस्या आती है और ऎसा माना जा रहा है कि इसमें 40 प्रतिशत मामले पुरूष के शुक्राणु के कारण आते हैं।